Friday, August 14, 2009

बाप रे

दोस्‍तों, आप सबको स्‍वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें।

और एक सवाल, आखिर देश हमारा इतनी तरक्‍की कर गया तो सबके चेहरे धुंवा-धुंवा क्‍यों हैं..

गांधी ने सत्‍य के साथ प्रयोग किया तो आजादी हासिल हुई.. वह प्रयोग तो सफल हो गया..

मगर हमारे प्रयोग जो कपटपूर्ण तरीकों से चल रहे हैं खुद के साथ.. वे हमारी नीतियों की विफलता के लिए स्‍पष्‍ट उत्‍तरदायी हैं।

सब के सब खुद में चोर... बाप रे।

7 comments:

  1. इस देश में हर शख्स परेशान सा क्यों है......!

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  2. क्योंकि उसके पास कोई काम नहीं है :)

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  3. तो चलिये कुछ काम ढूंढते है......


    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

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  4. कुछ तो कहिए कि लोग कहते हैं
    आज गालिब गज़लसरा न हुआ।....और गूंगा व बहरा न हुआ:)

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  5. आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
    लिखते रहिये
    चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
    गार्गी

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  6. आप की बात सही है,धन्यवाद...

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  7. बन्धु, १४ अगस्त, यह पाकिस्तान की आजादी के रोज़ के बाद आप खामोश क्यों हैं? छोटा सा अर्टिकल अपने भीतर बहुत तेज़ प्रवाह लिए हुए था. ऐसे लेखों की आवश्यकता है. आप की यह खामोशी कैसे टूटेगी, इसके लिए आप क्या कीमत तय करते हैं, शीघ्र सूचित करें.

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