खैर, ये ब्लाग सिर्फ अपनेआप को कोंचने के उद्देश्य से शुरू किया है जिससे अपने भीतर का अधिक से अधिक प्रकट कर सकूं। मगर, ऐसा भी नहीं कि अपने नवजात विचारों को मैं यहां प्रकट करूंगा.. यकीन मानिए थोड़ा ठोंक बजाकर काम करने की मेरी पुरानी आदत है.. कलम के मामले में थोड़ी सी भी गैरजिम्मेदारी मुझे भीतर से नर्वस कर देती है। हां चूंकि यहां जो भी सोचा लिखा और प्रकाशित किया जैसा कुछ है तो टाइपिंग की भूल आदि के लिए सुधी पाठक मुझ पर अवश्य मुस्कुरा देंगे.. ऐसी अपेक्षा है। लिखना कम समझना ज्यादा जैसा चलेगा यहां कुछ।
Saturday, August 8, 2009
बस अभी अभी
बस अभी अभी ये खयाल आया कि कई रोज़ का सोचा हुआ एक काम पूरा कर दूं। अपने आलस्य का ठीकरा अपनी व्यस्तताओं के सिर पर जृरूर फोडृ दूं मगर हकीकत तो यही है कि अक्सर मैं खयालों के भंवरजाल से निकल ही नहीं पाता.. ऐसे में क्या लिखूं। ...कभी जुगनू की तरह कोई खयाल कौंधा भी तो रोजृमर्रा की धकापेल में कहीं पोटली से अगलबगल सरक गया.. ऐसा भी होता है।
खैर, ये ब्लाग सिर्फ अपनेआप को कोंचने के उद्देश्य से शुरू किया है जिससे अपने भीतर का अधिक से अधिक प्रकट कर सकूं। मगर, ऐसा भी नहीं कि अपने नवजात विचारों को मैं यहां प्रकट करूंगा.. यकीन मानिए थोड़ा ठोंक बजाकर काम करने की मेरी पुरानी आदत है.. कलम के मामले में थोड़ी सी भी गैरजिम्मेदारी मुझे भीतर से नर्वस कर देती है। हां चूंकि यहां जो भी सोचा लिखा और प्रकाशित किया जैसा कुछ है तो टाइपिंग की भूल आदि के लिए सुधी पाठक मुझ पर अवश्य मुस्कुरा देंगे.. ऐसी अपेक्षा है। लिखना कम समझना ज्यादा जैसा चलेगा यहां कुछ।
खैर, ये ब्लाग सिर्फ अपनेआप को कोंचने के उद्देश्य से शुरू किया है जिससे अपने भीतर का अधिक से अधिक प्रकट कर सकूं। मगर, ऐसा भी नहीं कि अपने नवजात विचारों को मैं यहां प्रकट करूंगा.. यकीन मानिए थोड़ा ठोंक बजाकर काम करने की मेरी पुरानी आदत है.. कलम के मामले में थोड़ी सी भी गैरजिम्मेदारी मुझे भीतर से नर्वस कर देती है। हां चूंकि यहां जो भी सोचा लिखा और प्रकाशित किया जैसा कुछ है तो टाइपिंग की भूल आदि के लिए सुधी पाठक मुझ पर अवश्य मुस्कुरा देंगे.. ऐसी अपेक्षा है। लिखना कम समझना ज्यादा जैसा चलेगा यहां कुछ।
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