हुआ कभी जो
उसको
हमको फिर दुहराना है..
जल पर शैल तिरा कर
सागर सेतु बंधाना है..
दीवाली पर हम सब मिलजुल
दीप सजायें फिर
बाती से लौ का रिश्ता ये
बहुत पुराना है...
अभी बस इतना.. साथ ही आप सबको दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें
Friday, October 16, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)