हां तो बात चल रही थी कबीर के दोहे पर...
कि
लकड़ी जल कोयला भई कोयला जल भई राख।
मैं बावरि ऐसी जली कोयला भई ना राख।।
बचपन में जैसा कि खयाल आता है इसका अर्थ मुझे यही समझ में आता था कि लकड़ी जल कर कोयला हो गयी और कोयला राख.. मैं पगली ऐसी जली कि कहीं की ना रही। सामान्यतया हिन्दी के प्राध्यापक भी शायद इसका कुछ ऐसा ही अर्थ करें।
बात कुछ जमती नहीं.. क्या कबीर ने इस दोहे में अपने जीवन की निस्सारता के प्रति इंगित किया है या कुछ और है जो इस दोहे में छिपा हुआ है।
अवधी में एक शब्द है बंवर.. जिसका अर्थ आप लतागुल्म या झाड़ी जैसा कुछ लगा सकते हैं। 'मैं बावरि' मतलब 'मैं' यानी अहंकार की बंवर। अब आगे देखिए..
लकड़ी जल कोयला भई, कोयला भई राख.. और मेरे अहंकार की बंवर ऐसी जली कि न कोयला हुई न ना राख।
रह गयी लकड़ी और कोयला.. इसका क्या अर्थ..
लकड़ी का जल कर कोयला होना और कोयला का राख होना ये प्रकृति के नियमों के अन्तर्गत है.. मगर अहंकार तो ऐसे जला कि वहां प्रकृति के कोई नियम लागू ही नहीं हुए। यहां कबीर द्वैत से परे किसी ऐसी चेतना-भूमि पर खड़े हैं जहां प्रकृति के नियम अवरुद्ध हो गये हैं।
कुल मिलाकर कबीर का यह दोहा उनकी साधना के उस स्तर से नि:सृत है जहां उनका उनका अहंकार उन्मूलित हो चुका है.. और उनके अहंकार की बंवर (झाल-झंखाड़) ब्रह्माग्नि में भस्मीभूत हो रहे हैं।
चलिए बहुत हो गया अभी के लिए इतना ही... क्या खयाल है आपका।
Friday, August 14, 2009
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स्वतंत्रा दिवस जी हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteयह दोहा मैंने भी पढ़ा था और वही अर्थ समझता था, जैसा कि लोग समझते हैं। कबीर की इस नई व्याख्या पर बधाई।
ReplyDeleteआशीष जी,
ReplyDeleteआपने कबीर के दोहो की सही व्याख्या की है। कबीर ने मनुष्य के अहंकार को तोड़ने के लिए ही ऐसा कहा है। वास्तव में मनुष्य स्वयं को सृष्टि का सर्वोत्तम प्राणी मानता है। उसी अभिमान को कबीर ने इसमें तोड़ा है। मनुष्य तो लकड़ी और कोयले से भी हीन है। न जीवित रहते किसी के काम आता है न मरकर।
Meri maa
ReplyDeleteKabir ke dohe mujhe bahut acche lagte hain :-)
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसत्य वचन कबीर जी के मनुष्य इस संसार की विषयासक्ति मै सारा जीवन फंसा रहता है न तो आध्यात्मिकता की सीढ़ी चढ़ पता है न ही कर्म के सारे नियमों को पूर्ण कर पता है और इसीलिए यह शरीर रूपी लकड़ी न रहते काम आई एन मृत्यु उपरांत श्री हरि चरणों मै जा सकी __ जय श्री कृष्ण , आचार्य वो पी श्री वास्तव
ReplyDelete👍👌💐
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