Wednesday, December 19, 2012

विचारणीय प्रश्‍न यह है कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सुवि‍चारित एवं निर्णीत प्रकरण पर क्‍या देश की संसद पुनर्विचार कर सकती है, और यदि पुनर्विचार कर सकती है तो क्‍या हम यह मान लें कि बहुमत का मत-विभाजन सत्‍यासत्‍यविमर्श को पराभूत कर सकता है।

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