Wednesday, October 31, 2012


शिक्षा को पूंजीपतियों के दायरे से निकालना आवश्‍यक है.. निजीकरण के चलते शिक्षा व्‍यावसायिक हो गयी है। यह सुनिश्‍िचत किया जाना चाहिए कि शिक्षा संस्‍थानों मे निर्णय अभिभावक, छात्र, शिक्षक और प्रबंधतन्‍त्र सभी मिलकर लें। अन्‍यथा, मात्र अर्थदोहन का माध्‍यम बने हुए ऐसे शिक्षा संस्‍थानों का समाज पर अत्‍यन्‍त घातक प्रभाव होगा।

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