Wednesday, November 16, 2011
मीडिया
मीडिया जब तक पूंजीपतियों एवं स्वार्थी तत्वों के हाथ में रहेगी तब तक आम आदमी की आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित होगी। वास्तव में मीडिया पर किसी व्यक्ति का आधिपत्य होना ही नहीं चाहिए। मीडिया सदैव एक समूह द्वारा समूह के लिए संचालित किया जाना चाहिए जिसमें संचालक समूह की संख्या एक गांव की जनसंख्या के हिसाब से कम से कम 1000 रखी जानी चाहिए।
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media me patrkaro ka kam dosh hai,asli dosh to swarth ka chesma chadhaye sampadko ka hai, inhe kaun samhale yah bahut bada chalange hai bhaisahab.....
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